वोह! तो यहां से चैट जीपीटी और एआई ने जन्म लिया –
आज हम Chat gpt और AIका इस्तेमाल अपने हर काम के लिए बहुत ही धड़ल्ले से कर रहे हैं, लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि आखिरकार इस चैट जीपीटी और एआई का उद्भव कहां से हुआ है ? , इसका आविर्भाव किस देश ने किया है ?
आइए आज हम अपने इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से चैट जीपीटी के उद्भव कंपनी, देश आदि के बारे में विस्तार से जानते हैं –
नीदरलैंड्स की बहुराष्ट्रीय कंपनी ASML (एडवांस सेमीकंडक्टर मैटेरियल लिथोग्राफी) को आज दुनिया की सबसे अहम टेक्नोलॉजी कंपनियों में गिना जाता है, हालांकि इसके बारे में आम लोग बहुत कम जानते हैं। इस कंपनी ने वो मशीन बनाई है जिसने आधुनिक माइक्रोचिप्स के निर्माण को संभव बनाया। इसे EUV (एक्सट्रीम अल्ट्रावॉयलेट) लिथोग्राफी सिस्टम कहा जाता है।
इस कंपनी ने ही चैट जीपीटी, एआई, ग्रोक जैसे धड़ल्ले से इस्तेमाल होने वाले टूल्स की खोज की है |
आइए अब हम जानते हैं कि ASML क्यों जरूरी है, इसकी उपयोगिता क्या है ?
EUV मशीन बनाना इतना जटिल है कि Intel, TSMC और Samsung जैसी बड़ी कंपनियां भी इसे खुद नहीं बनातीं। ये कंपनियां ASML से ही मशीनें खरीदती हैं और इसमें निवेश भी करती हैं। आज ASML दुनिया की इकलौती कंपनी है जो EUV लिथोग्राफी मशीन बनाती है। एक मशीन की कीमत लगभग 350 मिलियन यूरो (लगभग ₹3,480 करोड़) होती है। Canon और Nikon अभी भी DUV तकनीक तक ही सीमित हैं। अगर कोई कंपनी 7nm से छोटे ट्रांजिस्टर वाली चिप बनाना चाहती है, तो उसे मशीन ASML से ही खरीदनी होगी |
लेकिन महत्व से पहले ASML के परिचय के बारे में जानना बहुत जरूरी है
यह कंपनी लिथोग्राफी तकनीक में काम करती है, जहां प्रकाश की मदद से सिलिकॉन वेफर पर सूक्ष्म पैटर्न बनाए जाते हैं, जो आगे चलकर चिप्स का रूप लेते हैं। ये चिप्स मोबाइल, लैपटॉप, डेटा सेंटर, AI प्रोसेसर और यहां तक कि लड़ाकू विमानों में भी इस्तेमाल होते हैं |
1997 में, ASML ने पारंपरिक DUV (डीप अल्ट्रावॉयलेट) लाइट की जगह EUV तकनीक पर काम शुरू किया, जिसकी वेवलेंथ सिर्फ 13.5 नैनोमीटर होती है, जबकि DUV की वेवलेंथ करीब 193 नैनोमीटर है।
ASML की स्थापना 1984 में Philips और ASM International के संयुक्त उपक्रम के रूप में हुई थी |
आइए अब हम जानते हैं कि EUV मशीन से कौन-कौन से लाभ हैं ?
EUV तकनीक से एक ही चिप में ज्यादा ट्रांजिस्टर फिट किए जा सकते हैं। इससे प्रोसेसिंग स्पीड बेहतर, पावर कंजंप्शन कम और डिवाइस का आकार छोटा हो जाता है। यह तकनीक महंगी और त्रुटिपूर्ण मल्टी-पैटर्निंग की जरूरत को भी खत्म कर देती है, हालांकि इस मशीन को बनाना बेहद मुश्किल और महंगा है। ASML ने इसके लिए 20 वर्षों तक रिसर्च, कई तकनीकी साझेदारियों और करीब 10 अरब यूरो खर्च किए।
आइए अब जानते हैं कि इस तकनीक के पीछे कितनी जटिलता है ?
IBM के अनुसार, EUV लाइट टिन की बूंदों पर 50,000 बार प्रति सेकंड लेजर मारकर बनाई जाती है। यह लाइट इतनी कमजोर होती है कि हवा या कांच इसे सोख लेते हैं, इसलिए यह वैक्यूम में और दर्पणों के जरिए ट्रैवल करती है। ASML ने जर्मनी की Zeiss कंपनी के साथ मिलकर एटॉमिक-लेवल स्मूदनेस वाले विशेष दर्पण बनाए हैं। केवल एक धूल का कण भी प्रक्रिया को खराब कर सकता है। EUV मशीन का आकार एक बस के बराबर होता है और इसमें लगभग 1 लाख पार्ट्स होते हैं।
विशेष –
अपने रोजमर्रा के जीवन को आसान बनाने के लिए आज हम सभी लोग बहुत ही तेजी से Ghat gpt और AI का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन हमें अपने कार्य को पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने के लिए कुछ समय के लिए अपने आप पर भी निर्भर रहना चाहिए जैसे अगर हम ब्लॉग ही लिख रहे हैं तो हमें खुद से लिखना चाहिए न कि Ghat gpt और AI से |
धन्यवाद!