Car -Bike flood Damage: आपकी बीमा पॉलिसी में क्या-क्या शामिल है?
1. केवल तीसरा‑पक्षी नहीं, कम्प्रीहेंसिव पॉलिसी जरूरी
केवल तीसरा-पक्षी (Third‑Party) बीमा में आपका वाहन नहीं कवर होता; यह केवल किसी तृतीय पक्ष को हुए नुकसान के लिए होता है ।
बाढ़, तूफान, भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान के लिए कम्प्रीहेंसिव (Comprehensive) बीमा आवश्यक है ।
2. कम्प्रीहेंसिव बीमा में क्या शामिल होता है?
कम्प्रीहेंसिव कवर में शामिल हैं:
इंजन, गियरबॉक्स पर पानी से कोई क्षति हो
विद्युत (Electrical) सिस्टम का खराब होना
बैठने और अंदरूनी हिस्सों का नुक़सान
चोरी, आग, दुर्घटना, भूकंप आदि ।
3. महत्वपूर्ण एड-ऑन कवरेज
बीमा को घरेलू इलाकों के लिए मजबूत बनाने के लिए ये एड‑ऑन शामिल जरूर करें:
Engine Protection Cover: पानी से इंजन में आ रही लिक्विड या हाइड्रोलॉक जैसे घातक नुक़सान को कवर करता है ।
Zero Depreciation Cover: पुर्ज़ों के मूल्य में कटौती नहीं होती, आपको पूरा दावा मिलता है ।
Consumables Cover: तेल, ग्रीस, बोल्ट्स इत्यादि जैसे उपभोग वाली चीज़ों का खर्च भी शामिल होता है ।
Roadside Assistance: अगर पानी में फंसे वाहन को टेम्परेरी सहायता व टowing मसले की जरूरत हो ।
4. दावा कैसे करें: आसान स्टेप्स
1. इंश्योरर को तुरंत सूचित करें (काल/ईमेल/ऐप से) ।
2. प्रत्यक्ष प्रमाण जुटाएँ जैसे फोटो/वीडियो ।
3. आवश्यक दस्तावेज़ तैयार करें: RC, DL, पॉलिसी, फोटो/वीडियो ।
4. सर्वेयर निरीक्षण के लिए बुलाएँ ।
5. प्राप्त हुए रिपोर्ट के आधार पर दावे का मूल्यांकन ।
6. सात कार्य दिवसों में भुगतान (आम तौर पर) ।
सावधानी और रख‑रखाव टिप्स
स्थिति सुझाव
वाहन डूबा हो तत्काल इंजन चालू न करें; बैटरी डिस्कनेक्ट करें और टो कार्गा से हटवाएँ ।
कार्यवाही पहले करें पानी बढ़ने पर गाड़ी ऊँचे स्थान पर पार्क करें, खिड़कियाँ बंद रखें ।
गुणवत्ता वाली मरम्मत मान्यता प्राप्त सर्विस सेंटर पर ही वाहन लगवाएँ; कैशलेस सुविधा का लाभ लें ।
लेटेस्ट केस स्टडी: मंगलूरू की हालात
मंगलूरू में आई बाढ़ ने कई वाहनों को बेहद प्रभावित किया है।
सर्विस वर्कशॉप्स में कार और बाइक दोनों ही बिलकुल क्षतिग्रस्त संक्रमित हुए और मरम्मत के लिए भीड़ लग गई ।
केवल तीसरा-पक्षी बीमाधारकों के लिए परेशानी बढ़ी क्योंकि उन्हें मरम्मत के लिए स्वयं भुगतान करना पड़ा ।
निष्कर्ष: सही कदम, सशक्त सुरक्षा
1. कम्प्रीहेंसिव मोटर बीमा रखें, खासकर बाढ़-प्रवण शहरों में (जैसे मुंबई, कोच्चि) ।
2. इंजन, शून्य मूल्यह्रास, उपभोग सामग्रियों व रोडसाइड सहायता जैसे मुक्त चयनित एड‑ऑन जोड़ें।
3. समय रहते दावे की प्रक्रिया से परिचित रहें और आपदा-साक्ष्य संग्रहीत कर रखें।
4. प्राधिकृत सेंटर में मरम्मत कराएँ ताकि आपका दावा कैंसल न हो।
5. सरकार की तरफ़ से मिल रही बीमा जागरूकता को समझकर, फ़सलों जैसी कीमत बचाने के लिए कदम उठाएँ।